हनुमान रक्षा स्त्रोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जो भगवान हनुमान की शरण में आत्म-संरक्षण, सुरक्षा और कल्याण की कामना करने वालों के लिए अविश्वसनीय रूप से उपयोगी सिद्ध होता है। यह स्तोत्र भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है और भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाने में सक्षम माना जाता है।
हनुमान जी की वीरता, भक्ति और त्याग की गाथाओं से युक्त यह स्तोत्र न केवल शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
हनुमान रक्षा स्तोत्र का महत्त्व
हनुमान रक्षा स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से संकट के समय किया जाता है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- सुरक्षा कवच: यह स्तोत्र भगवान हनुमान की कृपा से बुरी शक्तियों और दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- भय का नाश: हनुमान रक्षा स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के भीतर से भय को समाप्त करता है।
- धार्मिक लाभ: हनुमान जी की पूजा करने और उनके स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है।
- संकटमोचन: यह स्तोत्र हनुमान जी की संकटमोचक भूमिका को उजागर करता है, जो हर प्रकार के संकट से मुक्ति दिलाते हैं।
हनुमान रक्षा स्तोत्र के लाभ
- सुरक्षा और शांति: इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक शांति अनुभव करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह स्तोत्र व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है।
- संकट से मुक्ति: किसी भी प्रकार के संकट या बाधा से मुक्ति पाने में सहायक है।
- शत्रुओं का नाश: यह स्तोत्र शत्रुओं की बुरी नीयत और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: इसे पढ़ने से आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
हनुमान रक्षा स्तोत्र के पाठ की विधि
हनुमान रक्षा स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सुबह या शाम के समय, साफ वस्त्र पहनकर पाठ करें।
- पाठ के पहले और बाद में भगवान हनुमान का ध्यान करें।
- हनुमान चालीसा के साथ इसका पाठ करना और भी फलदायक माना गया है।
- पाठ के दौरान दीपक और धूप जलाना शुभ होता है।
- मंगलवार और शनिवार के दिन इसका पाठ विशेष रूप से प्रभावी होता है।
हनुमान रक्षा स्तोत्र | Hanuman Raksha Stotram Lyrics
वामे करे वैरिभिदं वहन्तं शैलं परे शृङ्खलहारटङ्कम् । ददानमच्छाच्छसुवर्णवर्णं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम् ॥ १॥
पद्मरागमणिकुण्डलत्विषा पाटलीकृतकपोलमस्तकम् । दिव्यहेमकदलीवनान्तरे भावयामि पवमाननन्दनम् ॥ २॥
उद्यदादित्यसङ्काशमुदारभुजविक्रमम् । कन्दर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम् ॥ ३॥
श्रीरामहृदयानन्दं भक्तकल्पमहीरुहम् । अभयं वरदं दोर्भ्यां कलये मारुतात्मजम् ॥ ४॥
वामहस्ते महाकृच्छ्रदशास्यकरमर्दनम् । उद्यद्वीक्षणकोदण्डं हनूमन्तं विचिन्तयेत् ॥ ५॥
स्फटिकाभं स्वर्णकान्तिं द्विभुजं च कृताञ्जलिम् । कुण्डलद्वयसंशोभिमुखाम्भोजं हरिं भजे ॥ ६॥
आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥ लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥ बाएं भुजा असुरदल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।जय जय जय हनुमान उचारें॥ कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥.
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु,जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं,हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गय अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा :
पवन तनय संकट हरन,मंगल मूरति रूप।राम लखन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप।।
Hanuman Chalisa har roj padhe… Bhagwan apka bhala kare.. Jai shri Ram
हनुमान जी इतनी शक्तिशाली है कि हमारी सारी दुख और कष्ट अपने अंदर संभाल लेते हैं इससे हमें मुश्किल के समय में हमारा डर हो संकट दूर हो जाते हैं हमें हमेशा दिन में हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए हमारे सरे दुख और कष्ट दूर हो जाएं
हमें हमेशा हनुमान जी की तरह बनना चाहिए ताकि हम भी उनकी तरह शक्तिशाली और बुद्धिमान बन सके और आपने काम के प्रति वफादार रहना चाहिए हनुमान जी की शक्तिशाली है कि यह बुद्धि और शक्ति का एक महा रूप है
Hanuman Raksha Stotram in hindi pdf
हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है क्योंकि हनुमान जी का नाम लेते सारे दुख और संकट दूर हो जाते हैं इसीलिए उनको संकट मोचन हनुमान कहा जाता है हमें किसी भी दुख भरी स्थिति में हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए इससे हमारे सारे दुख और संकट दूर हो जाते हैं
Hanuman Raksha Stotram hindi Video
हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए कोई भी कास्ट हो तो ना आए हनुमान जी और शक्तिशाली भगवान है और हनुमान जी के काफी शायरी रूप है वह वायु देव के पुत्र कहलाते हैं और उनको सारे वेदों का ज्ञान भी प्राप्त एक महा ऋषि भी है उनके जैसा ज्ञानी और बुद्धिमान बुद्धिमान कोई नहीं है
पौराणिक कथा और हनुमान जी का चरित्र
हनुमान जी के चरित्र को समझे बिना हनुमान रक्षा स्तोत्र का महत्त्व पूर्ण रूप से समझ पाना कठिन है। रामायण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी की अद्भुत शक्ति, बुद्धिमत्ता, और भक्ति का उल्लेख किया गया है।
- राम भक्त: हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं और उन्होंने अपना जीवन उनके चरणों में समर्पित कर दिया।
- संकटमोचन: हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है क्योंकि उन्होंने न केवल भगवान राम और सीता का साथ दिया बल्कि कई बार संकट में पड़े भक्तों की भी सहायता की।
- शक्ति और शौर्य: हनुमान जी को उनकी अतुलनीय शक्ति और साहस के लिए पूजा जाता है।
हनुमान रक्षा स्तोत्र भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह स्तोत्र हमें यह विश्वास दिलाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों न आएं, भगवान हनुमान की शक्ति और भक्ति से सभी समस्याओं का समाधान संभव है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ हमें न केवल शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है, बल्कि हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करता है।
हनुमान जी की कृपा से हमारा जीवन भयमुक्त और आनंदमय हो। जय श्रीराम! जय बजरंगबली!
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