डाउनलोड करें शिवजी की आरती PDF जिसमें संपूर्ण पाठ, अर्थ और लाभ शामिल हैं। जानें कैसे शिवजी की आरती का नियमित पाठ आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाता है।
शिवजी की आरती भगवान शिव की स्तुति में गाया जाने वाला भक्ति गीत है। भगवान शिव को महादेव, त्रिनेत्र, नटराज और अनेक नामों से जाना जाता है। वे संहारक और सृष्टि के पालनहार हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत शिवजी की पूजा और आरती से की जाती है। इस ब्लॉग में हम शिवजी की आरती के संपूर्ण बोल, इसका अर्थ, और इसके लाभों पर चर्चा करेंगे।
शिवजी की आरती के बोल (Lyrics)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…
दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत, त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी ॥ ॐ जय शिव…
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…
कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी ॥ ॐ जय शिव…
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्य, ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…
काशी में विश्वनाथ, विराजत नंदि में।
संकट मोचन स्वरूप, भक्तों के कष्ट हरें ॥ ॐ जय शिव…
शिवजी की आरती का अर्थ
प्रथम श्लोक: भगवान शिव की जय हो! आप ही ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव हैं, अर्द्धनारीश्वर के रूप में पूजे जाते हैं।
द्वितीय श्लोक: आप चार मुख वाले ब्रह्मा, चतुर्भुज विष्णु और दशभुज शिव के रूप में विराजमान हैं।
तृतीय श्लोक: आपके चारों भुजाओं में अक्षमाला, वनमाला, मुण्डमाला धारण करते हैं, और त्रिशूल तथा चक्र धारण करते हैं।
चतुर्थ श्लोक: आप श्वेताम्बर, पीताम्बर और बाघम्बर धारण करते हैं, सनकादिक और गरुणादिक जैसे भक्त आपके साथ रहते हैं।
पंचम श्लोक: आप कमंडल, चक्र और त्रिशूल धारण करते हैं, जो सुखकारी और दुखहारी हैं और जग का पालन करते हैं।
षष्ठ श्लोक: आप ही ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव हैं, जो प्रणवाक्षर (ॐ) के मध्य में विराजमान हैं।
सप्तम श्लोक: काशी में विश्वनाथ के रूप में विराजमान, आप भक्तों के सभी कष्टों का नाश करते हैं।
शिवजी की आरती के लाभ
शिवजी की आरती का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:
- विघ्नों का नाश: भगवान शिव को संहारक कहा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।
- सुख और समृद्धि: शिवजी की आरती से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
- सफलता: किसी भी कार्य की शुरुआत शिवजी की आरती से करने पर कार्य में सफलता मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: शिवजी की आरती से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शिवजी की आरती का महत्व
शिवजी की आरती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आरती सबसे उत्तम माध्यम है। यह भक्त और भगवान के बीच का एक भावनात्मक संपर्क है।
शिवजी की आरती PDF डाउनलोड
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शिवजी की आरती का सही समय और तरीका
शिवजी की आरती का पाठ विशेष रूप से सुबह और शाम के समय करना उत्तम माना जाता है। पूजा स्थान को स्वच्छ रखें और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
आरती के दौरान उपयोग होने वाली सामग्री:
- दीपक
- अगरबत्ती
- पुष्प
- अक्षत (चावल)
- कुमकुम
- नैवेद्य (प्रसाद)
- घंटी
शिवजी की आरती के धार्मिक महत्व
शिवजी की आरती को गाने का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। यह भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने का सबसे उत्तम तरीका है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
शिवजी की आरती का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
शिवजी की आरती का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मनोविज्ञान पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
शिवजी की आरती का नियमित पाठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें।
हर हर महादेव!
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