ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र

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ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र भगवान शिव के गुणों का वर्णन करने वाला एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र उनकी त्रिपुरांतकारी शक्ति और ब्रह्मांड को संतुलन में रखने की उनकी भूमिका को प्रकट करता है। इस मंत्र का जाप जीवन में शांति, सुरक्षा, और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए किया जाता है।


मंत्र का पाठ (संस्कृत में)

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी  
भानु शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः
सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥

हिंदी में अर्थ

  1. ब्रह्मा: सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की महिमा।
  2. मुरारी: भगवान विष्णु के रूप का वर्णन।
  3. त्रिपुरांतकारी: भगवान शिव का वह रूप जिसने त्रिपुरा के तीन राक्षसों के नगरों का नाश किया।
  4. भानु: सूर्य, जो ज्ञान और ऊर्जा के प्रतीक हैं।
  5. शशी: चंद्रमा, जो शीतलता और शांति का प्रतीक है।
  6. भूमिसुत: मंगल ग्रह, जो शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है।
  7. बुध: बुध ग्रह, जो बुद्धि और संवाद का प्रतीक है।
  8. गुरु: बृहस्पति, जो ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रतीक है।
  9. शुक्र: शुक्र ग्रह, जो प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है।
  10. शनि, राहु और केतु: ये ग्रह जीवन के कष्टों, चुनौतियों और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  11. सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु: सभी ग्रहों से शांति और सौहार्द की कामना।

महत्व और लाभ

  1. कष्टों का निवारण: यह मंत्र जीवन में ग्रहों के दोषों और नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
  2. मानसिक शांति: इसके नियमित जाप से मन शांत होता है और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और वातावरण को शुद्ध करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान शिव, ब्रह्मा, और विष्णु की उपासना से आत्मिक बल प्राप्त होता है।

मंत्र का जाप कैसे करें?

  1. सही समय: प्रातःकाल और संध्याकाल इस मंत्र के जाप के लिए उत्तम समय है।
  2. साफ स्थान: मंत्र का उच्चारण शांत और पवित्र स्थान पर करें।
  3. जाप संख्या: कम से कम 108 बार जाप करें, और इसके लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  4. ध्यान मुद्रा: मंत्र का जाप करते समय ध्यान मुद्रा में बैठें और भगवान शिव के त्रिपुरांतकारी रूप का ध्यान करें।

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र का धार्मिक महत्व

यह मंत्र न केवल भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि सभी ग्रहों की शांति और उनके सकारात्मक प्रभाव के लिए प्रार्थना भी करता है। यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Hanuman Chalisa Hindi जैसे आध्यात्मिक वेबसाइट पर यह मंत्र उन लोगों के लिए उपयोगी है जो भगवान शिव की कृपा और शांति की खोज कर रहे हैं।


FAQs: ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र

  1. यह मंत्र कब पढ़ना चाहिए?
    सुबह और शाम का समय इस मंत्र के लिए सबसे उत्तम है।
  2. क्या यह मंत्र केवल शिव भक्तों के लिए है?
    नहीं, यह मंत्र हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में शांति और ग्रहों के दोषों का निवारण चाहता है।
  3. क्या मंत्र का उच्चारण जरूरी है?
    हां, मंत्र का सही उच्चारण उसकी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाता है।
  4. मंत्र का प्रभाव कितने समय में होता है?
    नियमित और श्रद्धा से किए गए जाप का प्रभाव समय के साथ दिखने लगता है।
  5. क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन करना चाहिए?
    सोमवार और महाशिवरात्रि जैसे शिव से जुड़े दिन विशेष प्रभावी माने जाते हैं।

ॐ नमः शिवाय

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र

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