हनुमान जी, जिन्हें संकट मोचन भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के सबसे प्रिय और शक्तिशाली देवताओं में से एक माने जाते हैं। उनका अद्वितीय बल, वीरता, और श्रीराम के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें भक्तों का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। हनुमान जी का नाम सुनते ही मन में शक्ति, साहस और भक्ति की यादें उभरती हैं। उनकी आरती “श्री हनुमान जी की आरती” भी भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति देने के लिए जानी जाती है। यह आरती उनके महान कार्यों और अद्भुत बल को दर्शाती है।
श्री हनुमान जी की आरती केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह उनकी महिमा का गान करती है और भक्तों को प्रेरित करती है। इसे गाने से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संचार होता है। इस लेख में हम श्री हनुमान जी की आरती, इसके महत्व, और इसके लाभों पर चर्चा करेंगे।
श्री हनुमान जी की आरती का महत्व
हनुमान जी की आरती न केवल उनके गुणों का वर्णन करती है, बल्कि यह एक ऐसा साधन है जिससे भक्त अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। हर धार्मिक काव्य और आरती का उद्देश्य किसी न किसी प्रकार की शांति और आशीर्वाद प्रदान करना होता है, और श्री हनुमान जी की आरती इस उद्देश्य को बखूबी पूरा करती है।
हनुमान जी की आरती का विशेष महत्व है क्योंकि वह श्रीराम के परम भक्त थे। उनकी आरती में उनके द्वारा किए गए महान कार्यों का उल्लेख होता है, जैसे कि लंका दहन, लक्ष्मण जी का जीवन बचाना, अहिरावण का वध, आदि। इस आरती को नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में संकटों का निवारण होता है और व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
श्री हनुमान जी की आरती का पूरा पाठ
श्री हनुमान जी की आरती एक लोकप्रिय भक्ति गीत है, जो विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को गाई जाती है। नीचे इसका पूरा पाठ दिया गया है:
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरवर काँपे।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दे वीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की।
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सँवारे।
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे।
लाये संजिवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की।
पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे।
बाईं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें।
जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की।
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे।
लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
॥ इति संपूर्णं॥
हनुमान जी की आरती का संगीतमय महत्व
हनुमान जी की आरती की ध्वनि और लय में गहरी शक्ति है। जब इसे गाया या सुना जाता है, तो यह शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस आरती में हर शब्द और ध्वनि का एक विशेष उद्देश्य है। यह न केवल भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती है, बल्कि उनके जीवन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।
आरती का गान हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास को और अधिक गहरा करता है। यह भक्तों के मन को शांति और संतुष्टि प्रदान करता है और हनुमान जी की महिमा को फैलाने का एक तरीका बनता है। आरती का संगीतमय पाठ उन भक्तों के लिए बेहद लाभकारी है जो अपनी मानसिक स्थिति में सुधार और संकटों से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं।
हनुमान जी की आरती के लाभ
श्री हनुमान जी की आरती के कई लाभ हैं। यह केवल धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह एक साधना भी है, जो भक्तों के जीवन को उज्जवल बना देती है। हनुमान जी की आरती के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति:
हनुमान जी की आरती का नियमित पाठ जीवन में आने वाली तमाम परेशानियों, संकटों और कष्टों से मुक्ति दिलाता है। इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान हनुमान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो उनके जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है। - मानसिक शांति और संतुलन:
हनुमान जी की आरती मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करने का एक बेहतरीन तरीका है। यह मानसिक तनाव को कम करती है और व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। - शक्ति और साहस की प्राप्ति:
हनुमान जी की आरती उन व्यक्तियों को विशेष रूप से लाभ देती है जो अपने जीवन में किसी प्रकार की कमी महसूस कर रहे हैं, चाहे वह शारीरिक शक्ति हो या मानसिक साहस। यह आरती आंतरिक शक्ति को जागृत करती है। - समृद्धि और धन की प्राप्ति:
हनुमान जी की आरती से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसे नियमित रूप से गाने से घर में धन की कोई कमी नहीं रहती और व्यक्ति का जीवन खुशहाल रहता है। - स्वास्थ्य लाभ:
हनुमान जी की आरती का नियमित पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है। यह रोगों से बचाव करता है और व्यक्ति को लंबा और स्वस्थ जीवन देता है।
हनुमान जी की आरती कैसे करें?
हनुमान जी की आरती का पाठ करने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- शांति से स्थान चुनें:
हनुमान जी की आरती का पाठ घर के किसी शांत स्थान पर करें। यह स्थान पूजा के लिए पवित्र होना चाहिए। - पवित्रता का ध्यान रखें:
आरती का पाठ करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। अपने शरीर को साफ करें और पूजा स्थल को भी पवित्र बनाएं। - आरती के दौरान ध्यान केंद्रित करें:
आरती के दौरान अपना ध्यान केंद्रित करें और संपूर्ण श्रद्धा से हनुमान जी का स्मरण करें। जितना अधिक ध्यान केंद्रित होगा, उतना अधिक आशीर्वाद प्राप्त होगा। - आरती का सही समय:
हनुमान जी की आरती को विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को गाने से अधिक लाभ मिलता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।
हनुमान जी की आरती का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हनुमान जी की आरती का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी काफी दिलचस्प है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, तो आरती के शब्दों और ध्वनियों का सकारात्मक प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। जब इस आरती को गाया जाता है, तो इसके शब्द और लय सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, जो शरीर और मस्तिष्क को शांति और संतुलन प्रदान करते हैं। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है और मानसिक तनाव कम होता है।
श्री हनुमान जी की आरती केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावी तरीका है। यह मानसिक शांति, शारीरिक शक्ति, और संकटों से मुक्ति पाने का मार्ग है। हनुमान जी की आरती का पाठ करके हम न केवल उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन को एक नई दिशा भी दे सकते हैं।