हनुमान बाहुक PDF: संपूर्ण पाठ, अर्थ और लाभ | Hanuman Bahuk PDF Download

हनुमान बाहुक: एक शक्तिशाली स्तुति

हनुमान बाहुक एक प्रसिद्ध भक्ति पाठ है जो भगवान हनुमान की स्तुति में रचा गया है। इसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। यह पाठ भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है और इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है।

हनुमान बाहुक PDF: संपूर्ण पाठ, अर्थ और लाभ | Hanuman Bahuk PDF Download

हनुमान बाहुक का महत्व

हनुमान बाहुक का पाठ करने से भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं।

हनुमान बाहुक का संपूर्ण पाठ

हनुमान बाहुक में भगवान हनुमान के गुणों और महिमा का वर्णन किया गया है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट और समस्याओं का निवारण होता है।

श्री हनुमान बाहुक

॥दोहा॥
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

॥चौपाई॥
जदपि सुमिरन सब करि, धरै रामको ध्यान।
तदपि नित नव अनिष्ट, परै तरै मम प्रान॥
अभय सुमिरत सदा, पवन तनय बलवान।
बिमुख ह्वै प्रभु तेज, मोहें कर दहुं निदान॥

जाऊँ अवध अनुकूल, समर भय को जानि।
कहुं तात बल बुद्धि, विद्या मन में आन॥
निसा शेष यह जीव, रहै तन गतिकाह।
बिकल जन को दास, कृपाकर सुखमाह॥

हरौं संकट सब के, मिटावौं दुख भीर।
बिमुख बिषय तें सदा, सुधारौं मतिधीर॥
सदा सावधान चित, धरो कपि मन माह।
भव बंधन तें छुटें, मिटें अघ सब नाह॥

सुमिरत सुमिरत सदा, सुमिरन में एहि ठौर।
तुमहिं सुमिरौ हनुमान, बैदेही का चौर॥
सुमिरन भंजन हित, सुमिरौं पवन कुमार।
बिमल मनिहार मणि, करतार कुबुधि मार॥

जग मंगल में संकटा, मेटिहौं जग हित करौ।
पाठ करि जो हनुमान, संकटा हरो प्रभौ॥
जय जय जय हनुमान, जयति जय रघुवीर।
जय महाबल ज्ञान गुण सागर सुख गंभीर॥

राम प्रनत प्रिय बजरंग। सत्-राम नामी॥
कृपा करौ हनुमान, डारौं संकटा।
मंगल मूरत पवनकुमार। मंगल भवन अमंगल हार॥

महा संकट यह प्रान, सब बंधन तोड।
कृपा करौ हनुमान, गहि कर डारौ मोड॥
कपीस महाबल धाम, रखौ राखि रहिमाय।
सत्-राम तुम समरथ, हनुमान सहाय॥

॥दोहा॥
जौं जन संकट मोचनी, प्रकट करहु निज नाम।
तौ हनुमान होत बल, तोर न भए बेकाम॥

॥चौपाई॥
जय हनुमान वीर जयति जय रघुनायक।
निष्करुणा कर कृपा, राखि राखु खायक॥
बल बुद्धि विद्या देहु, हरौं कष्ट विकार।
निसदिन यह हीं सुमिरि, कपि मदन सुकुमार॥

कपीस महा मदन छूटावौ मोहें माय।
संकटा हरो हनुमान, सत्-राम सहाय॥

॥दोहा॥
हनुमान महा वीर जयति जय रघुनायक।
निष्करुणा कर कृपा, राखि राखु खायक॥

हनुमान बाहुक का अर्थ

हनुमान बाहुक का प्रत्येक श्लोक भगवान हनुमान की महिमा और शक्ति को दर्शाता है। इसका पाठ करने से मन में शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।

हनुमान बाहुक PDF डाउनलोड

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निष्कर्ष

हनुमान बाहुक का नियमित पाठ न केवल आपके जीवन में शांति और समृद्धि लाएगा बल्कि भगवान हनुमान की अनन्त कृपा भी प्राप्त होगी। इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

जय श्री राम!


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