दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa Hindi PDF Download 2023

श्री दुर्गा चालीसा- Durga Chalisa Hindi PDF Durga devotees. Read this Durga Chalisa with full devotion and Lord Durga will grace their blessings on you.

दुर्गा हिन्दू धर्म मे सबसे शक्तिसाली  देवी है और हिन्दू धर्म में इनकी पूजा एक शक्ति और बचाव की देवी के रूप में की जाती है उन्हें कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे महिषासुरमर्दिनी (दानव महिषासुर की हत्यारी), अंबा, चंडिका और भवानी।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गा को ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने राक्षस महिषासुर को हराने के लिए बनाया था, जिसने भगवान ब्रह्मा से वरदान के माध्यम से अजेयता प्राप्त की थी। दुर्गा माता को एक भयंकर योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है जिसमें कई भुजाएँ हैं, प्रत्येक एक हथियार पकड़े हुए है, एक शेर या बाघ पर सवार है, और लाल रंग के कपड़े पहने हुए है।  उनकी प्रतिमा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होती है, लेकिन उन्हें आमतौर पर स्त्री शक्ति और दैवीय ऊर्जा के अवतार के रूप में चित्रित किया जाता है।

Durga Chalisa Hindi PDF
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नवरात्रि के त्योहार के दौरान प्रतिवर्ष दुर्गा मनाई जाती है, जो नौ दिनों और रात तक चलती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप को समर्पित है, और त्योहार दसवें दिन समाप्त होता है, जिसे विजयादशमी या दशहरा के रूप में जाना जाता है।  पूर्वी भारत में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में, दुर्गा पूजा एक प्रमुख त्योहार है, जिसके दौरान देवी की मूर्ति को रखने के लिए विस्तृत पंडालों (अस्थायी संरचनाओं) का निर्माण किया जाता है और बड़े उत्साह के साथ पूजा की जाती है।

Durga Chalisa in hindi 

॥चौपाई॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥ शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥ रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥ तुम संसार शक्ति लै कीना । पालन हेतु अन्न-धन दीना ॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा । परगट भई फाड़कर खम्बा ॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो । लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी ॥ मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजै ॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत । तिहुंलोक में डंका बाजत ॥ शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥ रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका ॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥ शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको | शक्ति रूप का मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो । शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥ आशा तृष्णा निपट सतावें । रिपू मुरख मौही डरपावे ॥ शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥ करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला । जब लगि जिऊं दया फल पाऊं तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै । सब सुख भोग परमपद पावै ॥ देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

Namo Namo Durge Sukh Karni

Namo Namo Ambe Dukh Harani

Nirankar Hai Jyoti Tumhari

Tihun Lok Phaili Uujiyari

Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala

Netra Lal Bhrikuti Vikarala

Roop Maatu Ko Adhika Suhaave

Darash Karat Jan Ati Sukh Paave

Tum Sansaar Shakti Laya Keena

Palan Hetu An Avtaar Liya

Asha Trishna Nipat Bhavaani

Tum Maatu Pita Hum Bharati

Bhujaa Chaar Ati Shobhit Chhavi

Natkhat Nirkhat Nihari Kripaavi

Bhakton Ko Tum Sadaa Rakha Raakhi

Janam Janam Ke Dukh Bisraave

Antaryaami Parabrahm Parameshwar

Vidit Hote Sabhi Aviveka Ke Tar

Tum Guna Nidhaan Karuna Rasa Sagre

Tumhari Sharan Pade Jo Nar Nanhe

Jai Jai Jai Ambe Maa

Jagdambe Maa

Sukhdaata Maa

Jai Jai Jai Ambe Maa

दुर्गा चालीसा हिन्दी अनुवाद – durga chalisa hindi arth

॥चौपाई॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥ अर्थ: : सुख प्रदान करने वाली मां दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली मां श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है

निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥ अर्थ: आपकी ज्योति का प्रकाश असीम है, जिसका तीनों लोको (पृथ्वी, आकाश, पाताल) में प्रकाश फैल रहा है ।

शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥

अर्थ: आपका मस्तक चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। नेत्र रक्तिम एवं भृकुटियां विकराल रूप वाली हैं।

रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥ अर्थ: मां दुर्गा का यह रूप अत्यधिक सुहावना है। इसका दर्शन करने से भक्तजनों को परम सुख मिलता है।

तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अर्थ संसार के सभी शक्तियों को आपने अपने में समेटा हुआ है। जगत के पालन हेतु अन्न और धन प्रदान किया है।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

अर्थ: अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

अर्थ: अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥ अर्थः प्रलयकाल में आप ही विश्व का नाश करती हैं। भगवान शंकर की प्रिया गौरी- पार्वती भी आप हैं ।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ अर्थ: शिव व सभी योगी आपका गुणगान करते हैं । ब्रह्मा-विष्णु सहित सभी देवता नित्य आपका ध्यान करते हैं ।

रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥ अर्थ: आपने ही मां सरस्वती का रूप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि प्रदान की और उनका उद्धार किया।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा । प्रकट हुई फाड़कर खम्बा ॥

अर्थ : हे अम्बे माता ! आप ही ने श्री नरसिंह का रूप धारण किया था और खम्बे को चीरकर प्रकट हुई थीं।

रक्षा र प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ॥

अर्थ: आपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करके हिरण्यकश्यप को स्वर्ग प्रदान किया, क्योकिं वह आपके हाथों मारा गया

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं ॥

अर्थः लक्ष्मीजी का रूप धारण कर आप ही क्षीरसागर में श्री नारायण के साथ शेषशय्या पर विराजमान हैं।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥ अर्थ: क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हे दयासिन्धु देवी! आप मेरे मन की आशाओं को पूर्ण करें।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥

अर्थ: हिंगलाज की देवी भवानी के रूप में आप ही प्रसिद्ध हैं । आपकी महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है।

मातंगी धूमावति माता। भुवनेश्वरि बगला सुखदाता ॥ अर्थ: मातंगी देवी और धूमावाती भी आप ही हैं भुवनेश्वरी और

बगलामुखी देवी के रूप में भी सुख की दाता आप ही हैं । श्री भैरव तारा जग तारिणि । छिन्न भाल भव दुख निवारिणि ॥

अर्थ: श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं

केहरि वाहन सोह भवानी | लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

अर्थः वाहन के रूप में सिंह पर सवार हे भवानी ! लांगुर ( हनुमान जी ) जैसे वीर आपकी अगवानी करते हैं

कर में खप्पर खड्ग विराजे । जाको देख काल डर भाजे ॥ अर्थ: आपके हाथों में जब कालरूपी खप्पर व खड्ग होता है तो उसे देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है

सोहे अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

अर्थ: हाथों में महाशक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल उठाए हुए आपके रूप को देख शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है ।

DURGA CHALISA PDF IN HINDI

यह भी माना जाता है कि दुर्गा के विभिन्न रूप या अवतार हैं, प्रत्येक का एक विशिष्ट उद्देश्य या भूमिका है।  दुर्गा के कुछ लोकप्रिय रूपों में काली, चामुंडा और शैलपुत्री शामिल हैं।  इन रूपों की पूजा भक्तों द्वारा विशिष्ट कारणों से की जाती है, जैसे कि सुरक्षा, धन या आध्यात्मिक ज्ञान।

Durga Chalisa Hindi PDF
Durga Chalisa Hindi PDF 2023

हिंदू धर्म में उनकी पूजा के अलावा, दुर्गा बौद्ध और जैन धर्म जैसे अन्य धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं में भी पूजनीय हैं।  उनकी कल्पना और प्रतीकात्मकता ने सदियों से भारत की कला और संस्कृति को प्रभावित किया है, और वह हिंदू देवताओं में सबसे लोकप्रिय और प्रिय देवताओं में से एक हैं।

DURGA CHALISA PDF 2023

दुर्गा के आसपास की पौराणिक कथाएं भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हैं, लेकिन उन्हें आमतौर पर राक्षसों के वध और मासूमों के रक्षक के रूप में चित्रित किया जाता है।  राक्षस महिषासुर पर उनकी जीत को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है, और भारत के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि या दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है।

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